वृद्धि और विकास में अंतर - वृद्धि और विकास में निम्नलिखित अंतर है , जो इस प्रकार है ।
विकास - विकास आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है। विकास का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत है। जिसमे हमारे सपूर्ण विकास के क्षेत्र को शामिल किया जाता है। जिसमे हमारा - शारीरिक विकास और मानसिक विकास दोनों आते है। विकास अपने आप एक विस्तृत अर्थ को लिए हुए है । विकास के अंतरगर्त - " वृद्धि " एक छोटा सा भाग है । या ये कहे कि - " वृद्धि " ही विकास के अंतरगर्त आती है ।
वृद्धि - वृद्धि हमारे विकास की प्रक्रिया के अंतरगर्त होने वाली एक - छोटा सा भाग है। जिसमे केवल " वृद्घि " को ही शामिल किया जाता है। वृद्धि का समयकाल एक निश्चित होता है , अर्थात वृद्धि एक निश्चित समय तक ही होती है। अर्थात - संपूर्ण विकास में होने वाला एक छोटा सा भाग है।
⇀ विकास के अंतगर्त - - कार्य कुशलता , कार्य क्षमता , व्यवहार आदि विभिन्न प्रकार की क्रियाओ को शामिल किया जाता है।
जबकि वृद्धि के अंतरगर्त - बालक के आकार का बढ़ना , लम्बाई का बढ़ना आदि विभिन्न तथ्यों को शामिल किया जाता है।
⇀ विकास एक ऐसी प्रक्रिया है , जो कि व्यक्ति के जीवन में " जीवन -पर्यन्त " चलती रहती है। कभी भी रूकती नहीं है , जब तक मनुष्य जीवित रहता है ,तब तक विकास की क्रिया चलती रहती है।
जबकि " वृद्धि " एक निश्चित समय काल तक ही चलती है । अर्थात वृद्धि विकास की तरह कभी भी जीवन भर नहीं चलती है। वृद्धि की एक निश्चित समय सीमा या समय काल होता है।
⇀ विकास के अंतगर्त " वृद्धि " की सभी क्रियाओ को शामिल करते है , जबकि " वृद्धि " होने का अर्थ यह बिलकुल भी नहीं होता है , कि उसमे " विकास " भी हो रहा है। कियोकि वृद्धि का दायरा सीमित है , जबकि विकास का दायरा विस्तृत है।
10 - मानसिक विकास ⇀ मानसिक विकास एक ऐसा विकास होता है , जो निरंतर चलता रहता है। अर्थात जैसा की - हम जानते है कि - हमारे शारीरिक विकास की एक समय सीमा अथवा काल होता है , जिसके बीच में ही शारीरिक विकास होता है , या ये कहे की एक निश्चित समय तक ही हमारा शारीरिक विकास होता है।
जबकि हमारा मानसिक विकास निरंतर चलता रहता है।
मानसिक सा मनो शाररिक विकास के अंतरगर्त - विभिन्न तरह के अन्य विकास को भी शामिल किया जाता है।
जैसे कि -
⇀मानसिक विकास होना।
⇀ सामाजिक विकास होना।
⇀ सामाजिक विकास होना।
11 - इसके अलावा यदि हम भारतीय - मनीषियों की बात करे , तो हम देखते है कि भारतीय मनीषियो ने - " मानव विकास को 7 (सात ) भागो में विभाजित किया है। जो क़ि इस प्रकार है।
भारतीय मनीषियो अनुसार
(i ) गर्भावस्था - इसके अंतरगर्त - " गर्भाधान से जन्म तक " के समय काल को शामिल किया जाता है।
(ii ) शैशववस्था - इसके अंतरगर्त - " जन्म से 5 वर्ष तक " के समयकाल को शामिल किया जाता है।
(iii ) बाल्यावस्था - इसके अंतरगर्त - " पांच वर्ष से 12 वर्ष तक " के समयकाल को शामिल किया जाता है।
(iv ) किशोरावस्था - इसके अंतरगर्त - " 12 वर्ष से 18 वर्ष तक " के समय काल को शामिल किया जाता है।
(v ) युवा वस्था - इसके अंतरगर्त - " 18 वर्ष से 25 वर्ष तक " के समयकाल को शामिल किया जाता है।
(vi ) प्रौढ़ावस्था - इसके अंतरगर्त - " 25 वर्ष से 55 वर्ष तक " के समय काल को शामिल किया जाता है।
(vii ) वृद्धावस्था - इसके अंतरगर्त - " 55 वर्ष से मृत्यु तक " के समयकाल को शामिल किया जाता है।