(1 ) गिजू भाई - भारतीय शिक्षा-विद गिजु भाई एक महान शिक्षा - शास्त्री थे। शिक्षा - शास्त्री होने के साथ ही ये गुजराती भाषा के लेखक भी थे। इन्होने " बाल - केंद्रित "शिक्षा पद्धति के लिए उल्लेखनीय कार्य किये है। इन्होने " बाल - केंद्रित " शिक्षा प्रणाली को अधिक से अधिक लोगो तक पहुंचाया। इसके साथ ही इन्होने इस विषय पर बहुत से पुस्तकों की रचना की। जिससे कि लोगो में " बाल - केंद्रित " शिक्षा प्रणाली की समझ अच्छी हो और उसे क्रियान्यन करने में आसानी हो।
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बाल केन्द्रित शिक्षा के सिद्धांत |
(2 ) बाल केन्दित शिक्षा - बाल - केंद्रित शिक्षा प्रणाली में शिक्षकों को बालक के बारे में विभिन्न तरह की जानकारी होना आवश्यक होता है।
→ बालक के व्यवहार ही जानकारी होना।
→ बालक की आवश्यकताओं की जानकारी होना।
→ बालक का मानसिक स्तर कैसा है ,इस बात की जानकारी होना।
→ बालक की किस क्षेत्र में रूचि है , अर्थात बालक की यदि अध्ययन में रूचि है , तो किस विषय में अधिक रूचि है। बालक यदि खेल में अच्छा है ,तो किस खेल में अधिक रूचि है।
→ बालक की योग्यताये क्या - क्या है। ?
→ बालक व्यक्तित्व कैसा है ?
➤बाल केंद्रित शिक्षा में मनोविज्ञान की आवश्यकता अत्यधिक होती है। कियोकि बाल - केंद्रित शिक्षण पद्धति में मनोविज्ञान के विभिन्न प्रयोगों के द्वारा ही बालक के व्यवहार का पता लगाया जाता है।
➤ बाल - केंद्रित शिक्षा में एक शिक्षक के लिए- " मनोविज्ञान " की भूमिका बहुत अधिक मानी जाती है।
➤ मनोविज्ञान के द्वारा ही शिक्षक किसी बालक की समस्याओं का पता लगा सकता है।
➤उपचारात्मक शिक्षण देने लिए भी मनोविज्ञान अति आवश्यक माना जाता है।
➤ मनोविज्ञान के द्वारा ही शिक्षक - कमजोर और पिछड़े बालको की पहचान करने में शक्षम हो पाते है।
➤मनोविज्ञान के द्वारा ही प्रतिभाशाली बालको को सही दिशा प्रदान की जा सकती है।
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बाल केंद्रित शिक्षा की विशेषताएं |
➤ बाल - केंद्रित शिक्षा पद्धति बालक को ध्यान में रखकर बनायी गयी है।
➤ बाल केंद्रित शिक्षा में बालक की आवश्यकताओं का पूर्ण ध्यान रखा जाता है।
➤ बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति एक वैज्ञानिक पद्धति है।
➤ बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति पिछड़े बालको के लिए मदतगार साबित हुई है।
➤ बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति प्रतिभाशाली बालको बढ़ावा देती है।
➤ बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति बालक और शिक्षक दोनों के लिए ही आवश्यक है।
(i ) मूल्यांकन दो प्रकार का होता है। इसमें प्रथम मूल्यांकन में शिक्षक बालक का मूल्यांकन करता है , वही द्वितीय मूल्यांकन में बालक स्वयं का मूलयांकन करता है।
(ii ) शिक्षा पद्धति में क्या और कितना परिवर्तन करना है , इस बात की जानकारी शिक्षक को मूल्यांकन द्वारा ही प्राप्त होती है।
(iii ) मूल्यांकन द्वारा ही एक शिक्षक को बालक की कितनी प्रगति हुइ है , इसका पता चलता है।
(iv ) आधुनिक बाल विकास अथवा मनोविज्ञान में बालक की शिक्षा में कितनी प्रगति हुई है और कितनी सफलता एवं असफलता मिली है , इसका मापन भी मूल्यांकन पद्धति द्वारा किया जाता है।
उपरोक्त विवरण के आधार पर हम कह सकते है , कि मूल्यांकन की समस्त विधिया बालक के मनोविज्ञान पर आधारित होती है। और इन विधियों को प्रयोग में लाने से बालको के व्यवहार में बहुत बड़ा अंतर देखने को मिलता है।
दोस्तों , SHORT - NOTES के इस आर्टिकल में बाल - विकास एवं शिक्षा शास्त्र के इस टॉपिक जिसका नाम "वंशानुक्रम और वातावरण" है,को हमने बहुत ही SHORT में समझा है। अतः यदि आप बाल - विकास एवं शिक्षा शास्त्र के SHORT - NOTES का अगला आर्टिकल देखना चाहते है ,तो नीचे दी गयी लिंक पर CLICK करें।
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