Part - 1
1 - वॉटसन के अनुसार - " मनोविज्ञान - व्यवहार का विज्ञान है " ।
2 - मनोविज्ञान में " व्यवहार के अध्ययन " की 3 (तीन) प्रमुख क्रियाओ को शामिल किया जाता है ।
जो की निम्नलिखित है।
(i ) - व्यवहार में परिवर्तन होना ।
(ii ) - व्यवहार को अच्छी तरह से समझना ।
(iii ) - व्यवहार - को देखकर उसके लिए " भविष्यवाणी " करना । आदि विभिन्न प्रकार के तथ्यों का अध्ययन - हम " मनोविज्ञान " के अंतरगर्त करते है ।
3 - मन ➜ सामन्य भाषा में कहे - मनोविज्ञान - " मन का विज्ञान " है । परन्तु इस तथ्य पर " भारतीय दर्शन शास्त्र " के मनोविज्ञानिकों और - " पाश्चात्य मनोविज्ञानिकों " में विरोधाभास है ।
भारतीय - मनोविज्ञानिकों के अनुसार - " मन " - हमारे - ह्रदय के भीतर स्थित होता है । , जबकि - पश्चिमी मनोविज्ञानिकों - के अनुसार - " मन " - हमारे - "मस्तिष्क " के भीतर स्थित होता है । अतः इस प्रकार भारतीय मनोविज्ञानिकों और पास्चत्य मनोविज्ञानिकों में ये - "मतान्तर " है ।
4 - परा.मनोविज्ञान क्या है ?
परामनोविज्ञान ➔ " परामनोविज्ञान " के अंतरगर्त - " चमत्कारिक क्रिया - कलाप " से सम्बंधित विषयो का अध्ययन किया जाता है । जैसे कि - " पूर्व जन्म की स्मृति " का होना ।
5 - शिक्षा मनोविज्ञान क्या है ?
शिक्षा मनोविज्ञान ➔ शिक्षा शब्द संस्कृत भाषा के " शिक्ष " धातु से बना है । जबकि "एजुकेशन " शब्द - लेटिन भाषा के - " एडुकेयर " शब्द से बना है , जिसका अर्थ होता है कि - "नेतृत्व करना । शिक्षा-मनोविज्ञान वह विज्ञान है , जिसमे कि प्रमुख रूप से - दो - बिन्दुओ का अध्ययन किया जाता है ।
शिक्षा मनोविज्ञान - " मनोविज्ञान " की ही एक शाखा है । जिसकी की उत्पत्ति - 1900 की मानी जाती है । मनोविज्ञान की शाखा - "शिक्षा मनोविज्ञान " के अंतरगर्त - शिक्षण और अधिगम को शामिल किया जाता है ।
वही - "प्लेटो " ने शिक्षा को - " शाररिक - मानसिक - तथा बौद्धिक विकास " की प्रक्रिया माना है।
(i ) शिक्षण - शिक्षण से तात्पर्य है कि - " बालक की शिक्षा किसी और किस प्रकार होगी , या होती है। एवं इसमें किन - किन आयामों को शामिल किया जाता है आदि तथ्य एवं वे सभी तथ्य जो कि - बालक की शिक्षा सम्बन्ध में विभिन्न तरह से स्पस्टीकरण करते हो। आदि अध्ययन किया जाता है।
( ii ) अधिगम - सामान्य भाषा अधिगम का अर्थ होता है - " सीखना " अर्थात जब बालक के द्वारा कुछ नया सीखा जाता है , तो - उससे हम बाल -विकास या शिक्षा विजान की भाषा के अंतरगर्त - " अधिगम " कहते है।
6 - मनोविज्ञान के अनुसार - मानव का व्यवहार दो प्रकार का होता है । जिसमे पहला व्यवहार होता है - हमारा - " बाह्य व्यवहार " और दूसरा होता है - हमारा - " आंतरिक व्यवहार " ।
(i ) बाह्य व्यवहार - बाह्य व्यवहार से तात्पर्य उस व्यवहार से होता है , जिसे प्रत्यक्ष रूप से देख सकते है । अर्थात ऐसा व्यवहार जिसे हम - देख पाए या ऐसा व्यवहार जो हमे बाहरी रूप से दिखाई दे , उसे हम मानव का "बाह्य व्यवहार " कहते है ।
उदाहरण के लिए - - रोना , हंसना , चिल्लाना आदि आते है ।
(ii ) आंतरिक व्यवहार - आंतरिक व्यवहार ऐसा व्यवहार होता है , जिसे हम " प्रत्यक्ष " रूप में नहीं देख सकते है I अर्थात ऐसा व्यवहार जो बाहरी रूप से दिखाई ना दे , या जिसे हम देख न पाए , ऐसा व्यवहार - " आंतरिक व्यवहार " कहलाता है ।
उदाहरण के लिए - रक्तचाप होना ( blood - pressure ) - , भय होना , चिंता होना , आदि आते है।
7- महात्मा गांधी के अनुसार - " शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक को मनुष्य के शरीर ,मन , आत्मा के सर्वाग्रींण एवं सर्वोत्तम विकास से है। "
8 - मनोविज्ञान और शिक्षा मनोविज्ञान में अंतर - मनोविज्ञान और शिक्षा मनोविज्ञान में निम्नलिखित अंतर या भिन्नता है , जो कि इस प्रकार है ।
अन्तर -
1 - मनोविज्ञान अपने आप में एक स्वतंत्र विषय है। , जबकि - "शिक्षा मनोविज्ञान " मनोविज्ञान की ही एक शाखा है।
2 - मनोविज्ञान का क्षेत्र बड़ा एवं विस्तृत है , वही - " शिक्षा मनोविज्ञान " का क्षेत्र सीमित है।
3 - मनोविज्ञान का कार्य उन सभी विषयो अथवा क्षेत्रों के व्यवहार के अध्ययन को समझना , अथवा नियंत्रण करना अथवा - भविष्यवाणी करना है ।
4 - मनोविज्ञान के विस्तृत क्षेत्र में उन सभी तथ्यों का अध्ययन किया जाता है , जो कि उसके अंतरगर्त आते है , जबकि - "शिक्षा मनोविज्ञान " में " शिक्षा " से सम्बंधित - परिस्थतियों , क्रियाओं , प्रतिक्रियों आदि का अध्ययन किया जाता है ।
9 - वृद्धि और विकास में क्या अंतर है ?
9 - वृद्धि और विकास में अंतर - वृद्धि और विकास में निम्नलिखित अंतर है , जो इस प्रकार है ।
विकास - विकास आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है। विकास का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत है। जिसमे हमारे सपूर्ण विकास के क्षेत्र को शामिल किया जाता है। जिसमे हमारा - शारीरिक विकास और मानसिक विकास दोनों आते है। विकास अपने आप एक विस्तृत अर्थ को लिए हुए है । विकास के अंतरगर्त - " वृद्धि " एक छोटा सा भाग है । या ये कहे कि - " वृद्धि " ही विकास के अंतरगर्त आती है ।
वृद्धि - वृद्धि हमारे विकास की प्रक्रिया के अंतरगर्त होने वाली एक - छोटा सा भाग है। जिसमे केवल " वृद्घि " को ही शामिल किया जाता है। वृद्धि का समयकाल एक निश्चित होता है , अर्थात वृद्धि एक निश्चित समय तक ही होती है। अर्थात - संपूर्ण विकास में होने वाला एक छोटा सा भाग है।
⇀ विकास के अंतगर्त - - कार्य कुशलता , कार्य क्षमता , व्यवहार आदि विभिन्न प्रकार की क्रियाओ को शामिल किया जाता है।
जबकि वृद्धि के अंतरगर्त - बालक के आकार का बढ़ना , लम्बाई का बढ़ना आदि विभिन्न तथ्यों को शामिल किया जाता है।
⇀ विकास एक ऐसी प्रक्रिया है , जो कि व्यक्ति के जीवन में " जीवन -पर्यन्त " चलती रहती है। कभी भी रूकती नहीं है , जब तक मनुष्य जीवित रहता है ,तब तक विकास की क्रिया चलती रहती है।
जबकि " वृद्धि " एक निश्चित समय काल तक ही चलती है । अर्थात वृद्धि विकास की तरह कभी भी जीवन भर नहीं चलती है। वृद्धि की एक निश्चित समय सीमा या समय काल होता है।
⇀ विकास के अंतगर्त " वृद्धि " की सभी क्रियाओ को शामिल करते है , जबकि " वृद्धि " होने का अर्थ यह बिलकुल भी नहीं होता है , कि उसमे " विकास " भी हो रहा है। कियोकि वृद्धि का दायरा सीमित है , जबकि विकास का दायरा विस्तृत है।
10 - मानसिक विकास ⇀ मानसिक विकास एक ऐसा विकास होता है , जो निरंतर चलता रहता है। अर्थात जैसा की - हम जानते है कि - हमारे शारीरिक विकास की एक समय सीमा अथवा काल होता है , जिसके बीच में ही शारीरिक विकास होता है , या ये कहे की एक निश्चित समय तक ही हमारा शारीरिक विकास होता है।
जबकि हमारा मानसिक विकास निरंतर चलता रहता है।
मानसिक सा मनो शाररिक विकास के अंतरगर्त - विभिन्न तरह के अन्य विकास को भी शामिल किया जाता है।
जैसे कि -
⇀मानसिक विकास होना।
⇀ सामाजिक विकास होना।
⇀ सामाजिक विकास होना।
11 - इसके अलावा यदि हम भारतीय - मनीषियों की बात करे , तो हम देखते है कि भारतीय मनीषियो ने - " मानव विकास को 7 (सात ) भागो में विभाजित किया है। जो क़ि इस प्रकार है।
भारतीय मनीषियो अनुसार
(i ) गर्भावस्था - इसके अंतरगर्त - " गर्भाधान से जन्म तक " के समय काल को शामिल किया जाता है।
(ii ) शैशववस्था - इसके अंतरगर्त - " जन्म से 5 वर्ष तक " के समयकाल को शामिल किया जाता है।
(iii ) बाल्यावस्था - इसके अंतरगर्त - " पांच वर्ष से 12 वर्ष तक " के समयकाल को शामिल किया जाता है।
(iv ) किशोरावस्था - इसके अंतरगर्त - " 12 वर्ष से 18 वर्ष तक " के समय काल को शामिल किया जाता है।
(v ) युवा वस्था - इसके अंतरगर्त - " 18 वर्ष से 25 वर्ष तक " के समयकाल को शामिल किया जाता है।
(vi ) प्रौढ़ावस्था - इसके अंतरगर्त - " 25 वर्ष से 55 वर्ष तक " के समय काल को शामिल किया जाता है।
(vii ) वृद्धावस्था - इसके अंतरगर्त - " 55 वर्ष से मृत्यु तक " के समयकाल को शामिल किया जाता है।